रिटायरमेंट प्लानिंग की बुनियादी बातें

रिटायरमेंट प्लानिंग की बुनियादी बातें

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आम तौर पर लोग ये सोचते हैं कि रिटायरमेंट ऐसा वक्त होता है जब लोग अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जी सकते हैं और जो भी मन करे वो कर सकते हैं. हालांकि, सच ये है कि वित्तीय आजादी नहीं होने पर आप एक सीमित लाइफस्टाइल ही जी पाएंगे. भारत में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को अमूमन पेंशन नहीं मिलती है और चूंकि भारत की अधिकतर आबादी निजी या असंगठित सेक्टर में काम करता है तो रिटायरमेंट प्लानिंग यहां व्यक्तिगत तौर पर की जाती है.  

रिटायरमेंट प्लानिंग क्या है और से कैसे किया जाता है?

रिटायरमेंट प्लानिंग वह प्रोसेस है जिसके तहत आप अपने सुनहरे दिनों के लिए वित्तीय जरूरतें तय करते हैं. इसके तहत रिटायरमेंट के बाद के आपके जीवन को सपोर्ट करने के लिए जरूरी रिटायरमेंट फंड को चिह्नित किया जाता है. रिटायरमेंट प्लानिंग में ये कदम शामिल होते हैं:

आपकी रिटायरमेंट की जरूरतों को चिह्नित करनाः अपने जिस प्रकार की लाइफस्टाइल जीते हैं और रिटायरमेंट के बाद के आपके अनुमानित मासिक खर्चे के आधार पर आपको यह तय करने की जरूरत होती है कि रिटायरमेंट की अवधि में आपको कितनी मासिक आय की जरूरत (वर्तमान मासिक आमदनी के 60-80% के बराबर) होती है. हालांकि, रिटायरमेंट के सालाना खर्च को तय करना एक बेहतर तरीका हो सकता है. उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि 40 हजार रुपये हर महीना खर्च करने वाले 30 साल के एक व्यक्ति को आज के वैल्यू में 32,000 रुपये (वर्तमान मासिक खर्चे के 80% के बराबर) की जरूरत होगी. अगर वह व्यक्ति 60 साल की उम्र में रिटायर होने के बारे में सोचता है और 85 साल की उम्र तक जीवन जीने की उम्मीद करता है तो रिटायरमेंट के पहले साल में उसका अनुमानित सालाना खर्चा 29.23 लाख रुपये या 2.43 लाख रुपये प्रति माह होगा. उसे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए 4.93 करोड़ रुपये के फंड की जरूरत होगी.    

 

अंतर की गणना कीजिए

आपके रिटायरमेंट में जितना अधिक समय बचा होगा, आपको अपने रिटायरमेंट के सुनहरे दिनों में उतनी अधिक रकम की जरूरत होगी. ऐसा महंगाई दर के असर की वजह से हो सकता है. एक उदाहरण के तौर पर देखते हैं कि रोहित नामक एक व्यक्ति की उम्र 28 साल है और वह यह मानकर चल रहा है कि उसकी जीवन प्रत्याशा 85 साल की होगी. वहीं, सुहास नामक एक अन्य व्यक्ति की उम्र भी 28 साल है और वह 70 साल के जीवन प्रत्याशा की उम्मीद कर रहा है. दोनों का मौजूदा मासिक खर्च 35,000 रुपये है. छह साल की औसत महंगाई दर और 12 फीसदी के सालाना इंवेस्टमेंट रिटर्न को ध्यान में रखते हुए ये बात सामने आती है कि रिटायरमेंट के बाद के 25 साल के लिए रोहित को 2.81 करोड़ रुपये की जरूरत होगी जबकि सुहास को 10 साल की रिटायरमेंट अवधि के लिए 1.82 करोड़ रुपये की जरूरत होगी.  

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किन पहलुओं पर देना चाहिए ध्यानः आपके अपने रिटायरमेंट के लिए कितनी बचत करने की जरूरत होगी, इसे तय करने के लिए आपको इन बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती हैः

रिटायरमेंट की उम्र और जीवन प्रत्याशा

रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय आपको यह तय करना होगा कि आप किस उम्र में रिटायर होंगे और उन वर्षों को गिनना होगा जब आप काम नहीं करेंगे. रिटायरमेंट की अवधि जितनी लंबी होगी, आपको उतने अधिक फंड की जरूरत होगी.

रिटर्न की दर

आपको इस बात के आकलन की जरूरत होगी कि कामकाजी वर्षों में आप कितने रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं और रिटायरमेंट के समय में आपको कितना रिटर्न मिल सकता है (आपको अपने निवेश से जुड़े जोखिम को कम करने की जरूरत होगी, ऐसे में रिटायरमेंट के दौरान आपके निवेश पर कम रिटर्न मिलेगा.)

रिटायरमेंट से पहले की अवधि के लिए जीवन के विभिन्न लक्ष्य

आपको बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए रिटायरमेंट फंड के इस्तेमाल से निश्चित रूप से बचना चाहिए. आपको इन लक्ष्यों के लिए रिटायरमेंट फंड का इस्तेमाल ना करना पड़े, इसके लिए आप यह सुनिश्चित कीजिए कि इन लक्ष्यों के लिए भी आपके पास फंड मौजूद हों.  

रिटायरमेंट से जुड़े निवेश की गणना करिए

रिटायरमेंट कैलकुलेट के इस्तेमाल के जरिए आप यह कैलकुलेट कर सकते हैं कि रिटायरमेंट के बाद आपको कितनी रकम की जरूरत होगी. रिटायरमेंट कैलकुलेटर आपकी रिटायरमेंट की उम्र, आपकी वर्तमान उम्र, आपके निवेश पर मिलने वाले अनुमानित रिटर्न, मौजूदा खर्च और अनुमाति ब्याज दर के आधार पर काम करता है. यह कैलकुलेटर जिस रकम के फंड की गणना करता है, आपको अपने रिटायरमें के लिए उतना रकम इकट्ठा करना होगा. अगर आम तौर पर बात करेंगे तो आप अपने भविष्य के सालाना खर्चे को 30 से गुणा करके ये रकम कैलकुलेट कर सकते हैं. उदाहरण के लिए अगर आपको रिटायरमेंट के बाद हर साल 12 लाख रुपये की जरूरत होगी तो आपको रिटायरमेंट फंड के रूप में 12 लाख x 30 = 3.6 करोड़ रुपये के फंड की जरूरत होगी. इस तरह की उच्च राशि जमा करने के लिए इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स पर निवेश करने के बारे में सोचिए क्योंकि वे महंगाई को मात देने में सक्षम होते हैं और रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए आदर्श होते हैं. अपनी रिटायरमेंट के लिए सही म्यूचुअल फंड चुनने के लिए आपको एक फाइनेंशियल एडवाइजर या म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर जैसे इंवेस्टमेंट प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए जो आपके साथ बैठकर रिटायरमेंट प्लानिंग में आपकी मदद कर सकते हैं.  

 

निवेशकों को जागरूक करने की एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.


सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करेंः https://www.edelweissmf.com/kyc-norms


म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश करने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.

 

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