इंडेक्स फंड

इंडेक्स फंड, उनके प्रकार और विशेषताएं

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आजकल हर तरफ इंडेक्स फंड की चर्चा हो रही है तो आइए जानते हैं क्या हैं ये इंडेक्स फंड, इनकी विशेषताएं और उनके प्रकार। जैसा कि नाम से समझ में आता है, इंडेक्स यानि सूची (लिस्ट)। इंडेक्स फंड बीएसई अथवा एनएसई पर लिस्टेड शेयरों का पोर्टफोलियो होता है। आजकल इंडेक्स फंडों में भी कई प्रकार के फंड आने लगे हैं, जो इंडेक्स फंड बतौर केटेगरी को विविधता प्रदान करते हैं। जिनमें प्रमुख हैं बीएसई इंडेक्स फंड, निफ्टी50 इंडेक्स फंड, निफ्टी इक्वल वेट इंडेक्स फंड, निफ्टी लार्ज मिडकप इंडेक्स फंड, निफ्टी स्मॉल कैप 250 इंडेक्स फंड इत्यादि।

क्या इंडेक्स फंड सिर्फ इक्विटी केटेगरी में ही होते हैं। कई वर्षों तक इंडेक्स फंड इक्विटी केटेगरी में ही आते थे, लेकिन अब बॉन्ड फंडों में भी कई इंडेक्स फंड आ चुके हैं।

यदि इक्विटी इंडेक्स फंड की बात करें, विशेषकर मुख्य इंडेक्स फंड की, तो इनकी तुलना साधारण इक्विटी फंड से की जा सकती है, लेकिन जहां साधारण इक्विटी फंड में फंड मैनेजर अपने रिसर्च टीम और अध्ययन के आधार पर पोर्ट्फोलिओ को डिजाइन करते हैं, इंडेक्स फंड में सभी शेयर इंडेक्स में उनके प्रतिशत के आधार पर लिए जाते हैं , उदाहरण के लिए किसी शेयर का प्रतिशत इंडेक्स में यदि 5% है तो इंडेक्स फंड में भी उसका प्रतिशत 5 ही होगा। इसलिए ऐसा कह सकते हैं कि इंडेक्स फंड मार्केट का आईना है, अलबत्ता कुछ ट्रैकिंग एरर के साथ।

इंडेक्स फंड की अवधारणा बिल्कुल आसान है, चूंकि यह इंडेक्स का आईना है इसलिए इसकी परफॉरमेंस भी इंडेक्स की परफॉरमेंस के आसपास ही होती है। किसी और इक्विटी फंड की तरह ही इंडेक्स फंड में भी एक न्यूनतम रकम निवेश करने की आवश्यकता होती है और इसमें भी एसआईपी करने की सुविधा होती है। जो लोग सिर्फ ब्लूचिप कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं लेकिन उनके पास हर एक कंपनी पर रिसर्च करने का वक़्त या सुविधा नहीं है उनके लिए इंडेक्स फंड एक उत्तम उपाय है।

साथ ही कई लोग यह भी मानते हैं कि एक चुनिंदा शेयर का चुनाव न सिर्फ कठिन है बल्कि मार्केट के रिटर्न को चुनिंदा शेयर नहीं पिछाड़ सकते क्योंकि उनमें से कुछ चल सकते हैं लेकिन कई बिल्कुल नहीं चलेंगे ऐसे में मार्केट का औसत रिटर्न ज्यादा बेहतर हो सकता है, वह भी इंडेक्स फंड का चुनाव करते हैं। चूंकि इंडेक्स फंड मार्केट इंडेक्स का आईना होते हैं इनको शॉर्ट टर्म और लॉंग टर्म दोनों के लिए खरीदा जा सकता है , उदाहरण के लिए निवेशक के निवेश करने के बाद मार्केट 12% बढ़ गया तो निवेशक को अंदाज लग जाता है कि यदि ट्रैकिंग एरर कम हो तो उनका रिटर्न भी लगभग 12% हो गया होगा।

 

इंडेक्स फंड के फायदे

  • कम खर्च: चूंकि इंडेक्स फंड में फंड मैनेजर का रोल नगण्य होता है इसलिए इनकी मैनेजमेंट फीस भी नगण्य होती है, अधिकतर इंडेक्स फंड में एग्जिट लोड भी बहुत कम समय के लिए होता है। इंडेक्स फंड में और भी खर्चे जैसे रिसर्च, कमीशन और अन्य खर्चे बहुत कम होते हैं जिसकी वजह से यह बहुत कम खर्चे पर काम कर सकता है। चूंकि इसका उद्देश्य बाजार के रिटर्न को हराना नहीं है इसलिए फंड मैनेजर को किसी भी तरीके का अतिरिक्त रिस्क लेने की आवश्यकता नहीं होती। इसके साथ ही पोर्ट्फोलिओ में अधिक बदलाव लाने की आवश्यकता नहीं होती इसलिए ब्रोकरेज और टैक्स इत्यादि के खर्चे भी कम होते हैं।

 

  • विविधता प्रदान करता है : हम सबको पता है कि पोर्ट्फोलिओ में विविधता आवश्यक है परंतु कितनी और कैसे करनी है इस पर निर्णय लेने में खासी मुश्किल हो जाती है। उसका अच्छा उपाय हो सकता है इंडेक्स फंड, जो पर्याप्त विविधता देता है। ऐसा देखा गया है कि लॉंग टर्म निवेश के लिए भी इंडेक्स फंड कारगर साबित हो सकते हैं। इंडेक्स फंड में ट्रैकिंग एरर जितनी कम हो उतना बेहतर क्योंकि तभी इंडेक्स जैसे रिटर्न मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

 

निष्कर्ष

इंडेक्स फंड निसंदेह लॉंग टर्म वेल्थ बनाने के लिए अच्छा साधन है, साथ ही शॉर्ट टर्म में यदि अच्छे अवसर का लाभ उठाना हो तो भी एक अच्छा विकल्प है। इंडेक्स फंड तरल होते हैं, कम खर्च के होते हैं। लेकिन यह बेहतर होगा कि इंडेक्स फंड में भी निवेश करने से पहले अपने गोल सुनिश्चित कर लें और अपने उद्देश्यों पर स्पष्टता रखें। एक बात जो ध्यान रखने योग्य है कि एक असक्रिय फंड होने के बावजूद इनमें लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता होती है।

 


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म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.

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