एसआईपी न सिर्फ इन्वेस्टर को अनुशासित और धैर्यवान बनाती है बल्कि इसके और भी कई फायदे हैं। एसआईपी शुरु करने के अलग अलग ऑपशन्स हैं, मसलन एसआईपी टॉप अप। जिसमें इन्वेस्टर एसआईपी की रकम हर सैलरी इंक्रीमेंट पर बढ़ा सकते हैं इससे न सिर्फ इन्वेस्टर की निवेश करने की ताकत बढ़ जाती है और दूसरी महत्वपूर्ण बात कि निवेशक फिजूलखर्ची से बच सकते हैं और कंपाउंडींग का लाभ मिलता है वो अलग। उदाहरण के लिए यदि इन्वेस्टर १००० रुपये की एसआईपी से शुरु करे और हर साल १०% से बढ़ाते चले और अगर १२.६४% का कंपाउंडींग रिटर्न मिले तो १५ वर्षों में इनवेस्टमेंट वैल्यू करीब ९.०४ लाख रुपये, २० वर्षों में २१.१ लाख रुपये, २५ वर्षों में ५६.२४ लाख रुपये और ३० वर्षों में १.२२ करोड़ रुपये हो सकती है। यह सब संभव हो सकता है यदि इन्वेस्टर अपने आसपास के शोर शराबे से बचें और अपने इनवेस्टमेंट उद्देश्यों की तरफ ध्यान दें।
अस्वीकरण: यह उदाहरण बीएसई सेंसेक्स के 1 जून 2013 से 30 मे 2023 की मीन परफॉरमेंस पर आधारित है।
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, इस प्रकार के निवेश के तरीके में इन्वेस्टर अपनी इच्छानुसार निवेश रकम में लचीलापन ला सकते हैं। निवेशक के कैश फ़्लो और जरूरतों या वरीयताओं के हिसाब से निवेश की जाने वाली रकम को बढ़ाया या कम किया जा सकता है।
एससाईपी बतौर एक सोल्यूशन : एससाईपी का भरपूर फायदा उठाने के लिए यह जरूरी है कि एससाईपी जल्दी से जल्दी शुरु करनी चाहिये। यह भविष्य में हमें फाइनेंशियल फ्रीडम दिलाने के बहुत काम आती है, उदाहरण के लिए सिमरन ने २५ वर्ष की उम्र में नौकरी लगने के २-३ वर्षों बाद ८००० रुपये हर महीना अगले १० वर्षों तक इन्वेस्ट किया और परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए ३५ की उम्र में नौकरी छोड़ दी और उसे एससाईपी बंद करनी पड़ी लेकिन अगले २५ वर्षों तक उसने पैसे नहीं निकाले और उसके इनवेस्टमेंट की रिटर्न १२.६४% कंपाउंडेड थी तब उसकी फ्यूचर वैल्यू बढ़ कर ४.४२ करोड़ रूपये हो गई, जबकि ३५ वर्ष की उम्र में राज ने ८००० रुपये हर महीने निवेश करना शुरु किया और अगले २५ वर्षों तक करता रहा और यदि रिटर्न १२.६४ % से बढ़ी तो २५ वर्षों बाद राज की फ्यूचर वैल्यू हो गई १.६८ करोड़ रूपये। इस उदाहरण से पता चलता है कि यदि एस आई पी जल्दी शुरु की जाए तो अपेक्षा से बहुत ज्यादा अच्छे परिणाम दे सकती है।
एक बात और जो ऊपर के उदाहरण से समझ में आती है कि यह कहानी कई घरों की कहानी है, जैसे कि कोरोना के दौरान बहुत सारे परिवारों ने अपने मुखिया को खो दिया, ऐसे में अगर घर की महिला ने सही समय पर इनवेस्टमेंट करना शुरु किया होता तो परिवार को फाइनेंशियल लॉस से बचाया जा सकता था । इसलिए यह बहुत जरूरी है कि घर की नौकरीपेशा करने वाली महिलायें अपनी फाइनेंशियल स्वतंत्रता को लेकर जागरूक हो जाएँ। पिछले कुछ वर्षों में सेपरेशन और तलाक की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं, ऐसे में यदि लड़की फाइनेंशियली स्वतंत्र होगी तो उसको कठिन परिस्थिति से निपटने में आसानी होगी।
इसलिए इन्वेस्टर्स को एसआईपी की ताकत को नज़र अंदाज़ न करते हुए अपने लॉंग टर्म गोल को ध्यान में रखते हुए हर गोल के लिए एक एसआईपी की शुरुआत कर देनी चाहिये।
नहीं, ऐसा जरूरी नहीं कि एसआईपी सिर्फ लॉंग टर्म गोल के लिए ही की जाए, मीडियम टर्म गोल के लिए भी एसआईपी शुरु कर सकते हैं लेकिन इक्विटी फंड के बजाय शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड अथवा मीडियम टर्म बॉन्ड फंड में भी एसआईपी शुरु कर सकते हैं जहां इक्विटी फंड जैसे रिटर्न नहीं बन सकते लेकिन इक्विटी फंड जैसे उतार चढ़ाव भी नहीं होते। ऐसे फंड ३-५ वर्षों के गोल के लिए चुने जा सकते हैं।
एसआईपी की एक और ताकत जो आम तौर पर लोग ध्यान नहीं देते वह है रूपी कॉस्ट एवरेजिंग। एक रिटेल इन्वेस्टर के लिए मार्केट का सही लेवल जानना असंभव होता है ऐसे में रेगुलर इन्वेस्ट करना उनके लिए न सिर्फ सुविधाजनक होता है बल्कि कारगर भी सिद्ध होता है। चूंकि एसआईपी इन्वेस्टर, मार्केट के अलग अलग लेवल पर इन्वेस्ट करते हैं तो उनकी खरीदने की औसत कॉस्ट कम हो जाती है जो कि लंबे समय में बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करती है, जितनी ज्यादा लंबी अवधि उतना अधिक लाभ रूपी कॉस्ट एवरेजिंग से होता है।
इसलिए एसआईपी की इन ताकतों को समझिए और अपना निवेश जल्द से जल्द अपने गोल को ध्यान में रखते हुए शुरु कीजिए।
शुभ निवेश !
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