एक इन्वेस्टर के रूप में आपको कई फैक्टर पर विचार करने की जरूरत होती है, जिनमें प्रमुख है आप जिस म्यूचुअल फंड को चुनते हैं, उसमें अंडरलाइंग रिस्क और रिवार्ड कैसे हैं. आप चाहे इक्विटी फंड में निवेश करते हों या डेट फंड, पैसिव इक्विटी फंड अथवा पैसिव डेट फंड, आपको शार्प रेशियो के बारे में पता होना चाहिए. अब सवाल उठता है कि म्यूचुअल फंड में शार्प रेशियो क्या है और एक अच्छा शार्प रेशियो क्या है? आइए आज विस्तार से इन सवालों के जवाब जानते हैं.
जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं, फाइनेंस की दुनिया में सोच-समझकर निवेश का निर्णय लेने के लिए रिस्क और रिवार्ड के बीच के तालमेल को समझना महत्वपूर्ण है. आज निवेशकों के लिए परफॉर्मेंस के कई इंडिकेटर मौजूद हैं और उनमें शार्प रेशियो रिस्क को एडजस्ट करते हुए रिटर्न का पता लगाने का पावरफुल टूल है. इसे नोबेल पुरस्कार विजेता विलियम एफ. शार्प ने 1966 में विकसित किया था और तब से यह इन्वेस्टमेंट के परफॉर्मेंस को मापने का मौलिक पैमाना बना हुआ है.
अब सवाल आता है कि शार्प रेशियो का मतलब क्या है? यह एक परफॉर्मेंस को मापने का एक पैमाना है, जो यह बताता है कि किसी इन्वेस्टमेंट पर उसके अंडरलाइंग रिस्क के स्तर की तुलना में कितना अतिरिक्त रिटर्न मिलता है. शार्प रेशियो के कैलकुलेशन से निवेशकों को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि वे रिटर्न पाने के लिए जो रिस्क उठाते हैं, उसकी तुलना में रिटर्न देने में कोई पोर्टफोलियो या निवेश की रणनीति कितनी सक्षम है. शार्प रेशियो रिस्क और रिटर्न दोनों पहलुओं पर गौर करते हुए किसी इन्वेस्टमेंट के परफॉर्मेंस का अधिक व्यापक मूल्यांकन प्रदान करता है. उसके हिसाब से अगर आपके निवेश पोर्टफोलियो का शार्प रेशियो ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि आप ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं, लेकिन साथ ही रिस्क भी ज्यादा होने की आशंका रहती है. इसी तरह रेशियो कम होने का मतलब है कि रिटर्न कम होगा, लेकिन रिस्क भी कम रहेगा.
अब एक आम सवाल - शार्प रेशियो को कैलकुलेट कैसे करें. शार्प रेशियो को कैलकुलेट करने का फॉर्मूला आसान है -
शार्प रेशियो = (Rp - Rf) / σp
यहां:
Rp इन्वेस्टमेंट या पोर्टफोलियो के रिटर्न की औसत दर है
Rf का मतलब रिस्क-फ्री रिटर्न की दर से है, जिसे आमतौर पर सरकारी बॉन्ड या इसी तरह के कम रिस्क वाले एसेट से निकाला जाता है
σp का मतलब इन्वेस्टमेंट या पोर्टफोलियो के रिटर्न का स्टैंडर्ड डेविएशन है, जो उथल-पुथल यानी जोखिम को मापता है.
अब जब आप यह जान चुके हैं कि अपने इन्वेस्टमेंट के लिए शार्प रेशियो को कैलकुलेट कैसे करें, तो आइए अब यह पता करते हैं किस तरह के रेशियो को आपके लिए अच्छा दांव माना जा सकता है. ज्यादा रिस्क उठाने की क्षमता रखने वाले इन्वेस्टर्स के लिए अमूमन ज्यादा वैल्यू को पसंद किया जाता है, क्योंकि यह बेहतर रिस्क-एडजस्टेड परफॉर्मेंस का संकेत देता है. 1 से ज्यादा शार्प रेशियो यह बताता है कि संबंधित इन्वेस्टमेंट अथवा पोर्टफोलियो अपने रिस्क की तुलना में पॉजिटिव एक्सेस रिटर्न दे रहा है. 2 या उससे ज्यादा के रेशियो को अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह बताता है कि उठाए जा रहे रिस्क को देखते हुए ठीक-ठाक रिटर्न मिलने की संभावना है. यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि शार्प रेशियो में अच्छे का पैमाना दरअसल सबके लिए अलग-अलग है, क्योंकि अलग-अलग इन्वेस्टर की रिस्क उठाने की क्षमता अलग होती है और उनकी रिटर्न की अपेक्षा भी अलग होती है. ज्यादा रिस्क पसंद करने वाले इन्वेस्टर ज्यादा रेशियो को चुन सकते हैं, वहीं कंजर्वेटिव इन्वेस्टर कम रेशियो को पसंद कर सकते हैं, ताकि वे आक्रामक तरीके से ग्रोथ के बजाय अपनी पूंजी को बचाने पर ज्यादा फोकस कर सकें..
शार्प रेशियो का महत्व इस बात से है कि उससे इन्वेस्टर्स को समझबूझ कर निर्णय लेने और पोर्टफोलियो को अपने हिसाब से अनुकूलित करने में मदद मिलती है. सबसे पहले तो यह इन्वेस्टर्स को अलग-अलग इन्वेस्टमेंट या पोर्टफोलियो के रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न की तुलना करने में सक्षम बनाता है, जिससे उन्हें इन्वेस्टमेंट की सबसे प्रभावी रणनीति की पहचान करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करने में रिस्क को शामिल कर शार्प रेशियो इन्वेस्टर्स को रिटर्न और रिस्क के बीच संतुलन बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, इस तरह इसमें रिस्क के बारे में सोचे-समझे बिना रिटर्न के पीछे नहीं भागने के महत्व पर जोर दिया जाता है. इन्वेस्टर्स सबसे अच्छा रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न देने में सक्षम एसेट या रण्नीति की पहचान कर अपने पोर्टफोलियो को अपने हिसाब से अनुकूलित करने के लिए शार्प रेशियो का इस्तेमाल कर सकते हैं.
अब आप इस फॉर्मूले के विभिन्न फायदों को समझ चुके हैं. आइए अब व्यापक परिप्रेक्ष्य के लिए इससे जुड़े रिस्क के बारे में भी जान लेते हैं. यह रेशियो परफॉर्मेंस के हिस्टॉरिकल डेटा पर निर्भर करता है, जो जरूरी नहीं कि भविष्य के परिणाम के बारे में भी बताए. इसके अलावा शार्प रेशियो रिस्क-फ्री रेट को लेकर सेंसिटिव है, जिसका मतलब है कि आप जिस रिस्क-फ्री रेट को चुनते हैं, वह फॉर्मूले के परिणाम पर बड़ा असर डाल सकती है. इस रेशियो में यह मानकर चला जाता है कि इन्वेस्टमेंट का रिटर्न एक नॉर्मल डिस्ट्रिब्यूशन के हिसाब से है, जबकि वास्तविकता इससे अलग होती है क्योंकि बाजार का रिटर्न एक समान नहीं होता है और इस तरह कैलकुलेशन गड़बड़ हो सकती है. अंत में, रेशियो सिस्टेमैटिक और नॉन-सिस्टेमैटिक में भेद किए बिना दोनों तरह के रिस्क को कंसिडर करता है. इससे नॉन-सिस्टेमैटिक रिस्क को कम करने पर डायवर्सिफिकेशन का क्या असर होगा, उसे इन्वेस्टर्स नजरअंदाज कर सकते हैं.
शार्प रेशियो अपनी सीमाओं के बाद भी फाइनेंस की दुनिया में म्यूचुअल फंड को लेकर एक ऐसा टूल बनकर उभरा है, जिसे किनारे नहीं कर सकते हैं. यह इन्वेस्टर्स को इन्वेस्टमेंट और पोर्टफोलियो के रिस्क-एडजस्टेड परफॉर्मेंस के बारे में बहुमूल्य जानकारी देता है. शार्प रेशियो रिस्क और रिटर्न दोनों पर विचार कर एक्सेस रिटर्न पाने में इन्वेस्टमेंट की क्षमता के बारे में व्यापक दृष्टिकोण मुहैया कराता है. जब आप इन्वेस्टमेंट की उलझी दुनिया में उतरते हैं, तब शार्प रेशियो को समझने से आपको अधिक समझ-बूझा भरा निर्णय लेने, रिस्क और रिवार्ड के बीच सही संतुलन बनाने और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित पोर्टफोलियो बनाने में मदद मिल सकती है.
निवेशकों को जागरूक करने के लिए एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करें: https://www.edelweissmf.com/kyc-norms
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.
MUTUAL FUND INVESTMENTS ARE SUBJECT TO MARKET RISKS, READ ALL SCHEME RELATED DOCUMENTS CAREFULLY.