टैक्स एक ऐसी चीज है, जिसका सामना हम सभी को करना पड़ता है, लेकिन हम में से ज्यादातर लोग इससे बचने का हर संभव प्रयास करते हैं. हालांकि, आपको हमेशा इसे ऐसे देखने की जरूरत नहीं है. भारत सरकार टैक्स सेविंग कराने वाले कई निवेश विकल्प देती है, जो आपको एक तीर से दो शिकार करने में मदद करते हैं. आप सही प्रकार के प्रोडक्ट्स में निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं और संपत्ति बना सकते हैं. जैसे-जैसे वित्त वर्ष धीरे-धीरे अपने अंत की ओर बढ़ रहा है, टैक्स की बचत कराने वाले तरीकों की खोज तेज हो गई है. हम में से ज्यादातर लोग काफी उत्साह के साथ बजट 2023 की घोषणाओं का भी इंतजार कर रहे हैं.
आइए नजर डालते हैं कि जल्द ही घोषित होने वाले बजट से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं और आप 2023 में टैक्स कैसे बचा सकते हैं.
बजट 2023 से क्या उम्मीद?
साल 2023 में निवेश करने के आपके तरीकों में कुछ बदलाव हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपको 31 मार्च 2023 तक अपने स्थायी खाता संख्या (PAN) या पैन से छूट प्राप्त केवाईसी रेफरेंस नंबर (PEKRN) को अपने म्यूचुअल फंड फोलियो के साथ जोड़ना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो अप्रैल 2023 के बाद आप निवेश नहीं कर पाएंगे. इस अधिसूचना को एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने पारित किया है और यह सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) और एकमुश्त निवेश पर लागू है.
AMFI ने हाल ही में एक प्री-बजट विशलिस्ट भी साझा की थी, जिसमें निम्नलिखित बातें शामिल थीं:
- म्यूचुअल फंड निवेश और यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाओं (ULIPs) से पूंजीगत लाभ पर एक समान तरीके से टैक्स: अभी म्यूचुअल फंड स्कीम्स और यूलिप के बीच टैक्स को लेकर कोई समानता नहीं है. एक साल में एक लाख रुपये से ज्यादा होने पर इक्विटी म्यूचुअल फंड से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी टैक्स लगता है. हालांकि, अगर योजना की बीमा राशि प्रीमियम की तुलना में कम से कम दस गुना है, तो यूलिप से हुए लाभ पर टैक्स नहीं लगता है. इसी तरह, यूलिप आपको एक फंड से दूसरे फंड में स्विच करने की सुविधा देता है. ऐसे स्विच को पूंजीगत लाभ नहीं माना जाता है और इसलिए ऐसे मामलों में टैक्स नहीं लगाया जाता है. हालांकि, म्यूचुअल फंड स्कीम्स के मामले में स्विच करने, जैसे नियमित से प्रत्यक्ष योजना में स्विच करने पर पूंजीगत लाभ कर लगता है. AMFI चाहता है कि टैक्स के मामले में इन दोनों तरीकों के बीच एकरूपता होनी चाहिए.
- म्यूचुअल फंड स्कीम्स और सूचीबद्ध बांडों के लिए एक समान टैक्स: सूचीबद्ध डिबेंचर्स को अगर 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, डेट म्यूचुअल फंड के मामले में अगर इन्हें 36 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तब दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर 20% की दर से टैक्स लगता है. चूंकि दोनों प्रोडक्ट्स डेट इंस्ट्रुमेंट्स हैं, इस कारण AMFI चाहता है कि सरकार इनके ऊपर एक समान कराधान नीति लागू करे.
- इन सुझावों पर अमल होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि, जब पूरा देश वित्त मंत्री द्वारा बजट की घोषणा करने का इंतजार कर रहा है, ऐसे में कुछ तरीके हैं, जिन्हें अपना कर आप अपनी कर देनदारियों को कम कर सकते हैं.
कर बचाने के वे तरीके, जिनका इस्तेमाल साल 2023 में स्टॉक और म्यूचुअल फंड निवेशक कर सकते हैं:
- अच्छे से रीडेम्पशंस यानी भुनाने के तरीके की योजना बनाएं: इक्विटी म्यूचुअल फंड से 1 लाख रुपये सालाना तक का दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर-मुक्त है. आप पूंजीगत लाभ पर टैक्स से पूरी तरह बचने के लिए अपनी यूनिट्स को इस तरह से बेचने की योजना बना सकते हैं कि आपको एक साल के दौरान 1 लाख रुपये से अधिक लाभ न हो.
- ELSS फंड्स में निवेश करें: इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम्स म्यूचुअल फंड का अकेला ऐसा तरीका हैं, जो इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये सालाना तक टैक्स डिडक्शंस के लिए पात्र हैं. ईएलएसएस फंड्स ऐसी इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जो मुख्य रूप से इक्विटी और इक्विटी से संबंधित प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं. वे हर साल आपके निवेश पर टैक्स बचाने में मदद करते हुए लंबी अवधि के दौरान संपत्ति बनाने के लिए आदर्श हैं.
- टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग: आप अपने पूंजीगत घाटे को अपने पूंजीगत लाभ के साथ ऑफसेट कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपको एक म्यूचुअल फंड स्कीम या स्टॉक से 10,000 रुपये का लाभ होता है और दूसरे से 5,000 रुपये का नुकसान होता है, तो साल के लिए आपका कुल लाभ (10,000 रुपये - 5,000 रुपये) 5,000 रुपये होगा. इस तरह आपको 10,000 रुपये पर नहीं, बल्कि महज 5,000 रुपये पर टैक्स देना होगा.
- जरूरी कटौतियों का इस्तेमाल करें: शेयरों या फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेड करते समय आप बिजली बिल या डेटा शुल्क जैसे जरूरी खर्चों की कटौती कर सकते हैं और अपनी कर देनदारियों को कम कर सकते हैं.
इनके अलावा, आपके निवेश और ट्रेडिंग पोर्टफोलियो के बीच अंतर करना भी महत्वपूर्ण है. निवेश पोर्टफोलियो से होने वाले लाभ को पूंजीगत लाभ माना जाता है, जबकि ट्रेडिंग पोर्टफोलियो से व्यावसायिक लाभ होता है. दोनों पर टैक्स का तरीका अलग-अलग है.
निष्कर्ष
टैक्स की बचत कराने वाले निवेश संपत्ति बनाते हुए आपकी टैक्सेबल इनकम को कम करने का एक शानदार तरीका हो सकता है. हालांकि, हर साल टैक्स की बचत करने वाले अपने विकल्पों व रणनीतियों की समीक्षा करना और तत्कालीन कर कानूनों के अनुसार उन्हें नए सिरे से अमल में लाना हमेशा अच्छा होता है.
एडलवाइज म्यूचुअल फंड द्वारा निवेशकों को शिक्षित बनाने की एक पहल
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार की केवाईसी प्रक्रिया से गुजरना होता है. निवेशकों को पंजीकृत म्यूचुअल फंड (RMF) के साथ ही डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ और किसी शिकायत को दर्ज कराने/निवारण की प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए, विजिट करें - https://www.edelweissmf.com/kyc-norms
म्यूच्यूअल फण्ड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं. योजना से संबंधित सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.