सरकारी प्रतिभूतियां और बॉन्ड्स

सरकारी प्रतिभूतियां और बॉन्ड्स क्या हैं?

142


विभिन्न तरह की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन या क्रेडिट कार्ड के रूप में पैसे उधार लेना आम बात है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप भी कर्जदाता बन सकते हैं और ना सिर्फ लोगों बल्कि सरकार, बैंक और कॉरपोरेट्स की भी मदद कर सकते हैं? सुनने में लगता है कि ऐसा संभव नहीं होगा लेकिन सरकारी प्रतिभूतियों (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) और बॉन्ड्स में निवेश के रूप में ये काफी आम बात है. सरकारी प्रतिभूतियां और बॉन्ड्स क्या हैं और आप उनमें क्यों निवेश करना चाहिए. आइए जानते हैं.

बॉन्ड्स क्या हैं?

बॉन्ड एक तरह का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है जहां आप निवेशक के रूप में सरकार, नगरपालिका या कॉरपोरेट जैसे किसी निकाय को पूर्व-निर्धारित अवधि के लिए कर्ज देते हैं. निकाय अपनी विस्तार से जुड़ी योजनाओं और परिचालन से जुड़ी अन्य गतिविधियों के लिए आपके द्वारा निवेश की गई रकम का इस्तेमाल करता है. रिटर्न के तौर पर आपको वैरिएबल या निर्धारित दर से ब्याज मिलता है, जिससे आपको आय हासिल करने में मदद मिलती है.   

सरकारी प्रतिभूति या बॉन्ड्स क्या होते हैं?

सरकारी प्रतिभूति/ बॉन्ड भी एक प्रकार का डेट इंस्ट्रुमेंट होता है जिसे केंद्र या राज्य सरकार परिचालन से जुड़ी गतिविधियों को लेकर धनराशि जुटाने के लिए जारी करती है. सरकारी प्रतिभूति एवं बॉन्ड को G-Sec भी कहा जाता है. सरकारी प्रतिभूतियां कम अवधि या लंबी अवधि की होती हैं. छोटी अवधि की प्रतिभूतियों की मेच्योरिटी की अवधि एक साल से कम होती है. वहीं, लंबी अवधि की प्रतिभूतियों की अवधि एक साल या उससे अधिक होती है.   

सरकारी प्रतिभूतियों एवं बॉन्ड्स के विभिन्न प्रकार

सरकारी प्रतिभूतियों और बॉन्ड्स को इन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता हैः  

  • फिक्स्ड-रेट बॉन्ड्स: फिक्स्ड रेट बॉन्ड्स में बॉन्ड की मेच्योरिटी तक फिक्स्ड कूपन रेट होता है.
  • फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स: फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स में वैरिएबल कूपन रेट होता है जिसे आम तौर पर छमाही या सालाना आधार पर पूर्व-निर्धारित अंतराल पर आवंटित किया जाता है.
  • ट्रेजरी बिल्स या टी-बिल्स: टी-बिल्स भारत सरकार द्वारा जारी मनी मार्केट इंस्ट्रुमेंट होता है. वर्तमान में इन्हें क्रमशः 91, 182 और 364 दिन की तीन अलग-अलग अवधि के लिए जारी किया जाता है. इन प्रतिभूतियों पर कूपन रेट या ब्याज नहीं होती है. हालांकि, इन्हें छूट के साथ जारी किया जाता है ताकि मेच्योरिटी के समय इन्हें फेस वैल्यू पर रिडीम किया जा सके.
  • सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स: फिजिकल गोल्ड से जुड़ी ट्रेडिंग का विकल्प देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है.
  • स्टेट डेवलपमेंट लोन (एसडीएल): एसडीएल भी एक प्रकार की सरकारी प्रतिभूति होती है जिसे राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है.
  • कैश मैनेजमेंट बिल्स (सीएमबी): सरकार के कैश फ्लो में आने वाली अस्थायी दिक्कत को कवर करने के लिए भारत सरकार द्वारा सीएमबी जारी किया जाता है. ये टी-बिल्स की तरह ही होते हैं लेकिन इनकी मेच्योरिटी की अवधि 91 दिन से कम होती है.   

सरकारी बॉन्ड्स और प्रतिभूतियों में निवेश करने के फायदे

भारत में सरकारी बॉन्ड्स और प्रतिभूतियों में निवेश करने के कई फायदे होते हैं, जैसे किः

  1. सुरक्षा: सरकारी बॉन्ड्स और प्रतिभूतियों को कम जोखिम वाले निवेश विकल्प के तौर पर देखा जाता हैं क्योंकि उन्हें सरकार की मदद प्राप्त होती है.
  2. प्रत्याशित रिटर्न: सरकारी बॉन्ड्स और प्रतिभूति प्रत्याशित रिटर्न की पेशकश करते हैं क्योंकि ब्याज दर निर्धारित होता है और मेच्योरिटी की तारीख पहले तय होती है. इससे आपके लिए निवेश और खर्चे की योजना बनाने का काम आसान हो जाता है.
  3. विविधीकरण: सरकारी बॉन्ड्स और प्रतिभूतियों में निवेश से आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो के विविधीकरण में मदद मिलती है क्योंकि इसकी चाल इक्विटी के विपरीत दिशा में होती है. इससे पोर्टफोलियो के ओवरऑल जोखिम को कम करने में मदद मिलती है.

 निष्कर्ष

सरकारी प्रतिभूतियां और बॉन्ड्स विविधीकरण, कम जोखिम और अच्छे रिटर्न के लिहाज से आपको कई तरह के फायदे देते हैं. हालांकि, वित्तीय लक्ष्यों एवं निवेश की रणनीति के हिसाब से इनका चुनाव काफी सावधानी से किया जाना चाहिए. इससे सही चुनाव करने के लिए विभिन्न प्रकार के बॉन्ड्स और प्रतिभूतियों को समझने में मदद मिल सकती है.  


निवेशकों को जागरूक करने के लिए एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.


सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करेंhttps://www.edelweissmf.com/kyc-norms  

 

म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश करने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.

Signup for our Newsletter

MUTUAL FUND INVESTMENTS ARE SUBJECT TO MARKET RISKS, READ ALL SCHEME RELATED DOCUMENTS CAREFULLY.