म्यूचुअल फंड्स जिन कंपनियों में निवेश करते हैं, उनके आकार के आधार पर अगर उनका वर्गीकरण किया जाए तो मोटे तौर तीन तरह के फंड होते हैं: लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स. इस संदर्भ में ‘कैप’ का मतलब किसी कंपनी के बाजार पूंजीकरण से होता है जो कंपनी के अनुमानित शेयरों का बाजार मूल्य होता है. आइए हम स्मॉल-कैप फंड्स पर बारीकी से नजर डालते हैं:
स्मॉल-कैप फंड एक ऐसा फंड होता है जो 500 करोड़ रुपये से कम के बाजार पूंजीकरण वाली छोटी कंपनियों में निवेश करता है. स्टॉक एक्सचेंज पर 250 रैंक के नीचे आने वाली या बिना किसी रैंक वाली सभी कंपनियां स्मॉल-कैप फंड्स की श्रेणी में आती हैं.
स्मॉल-कैप फंड्स के पोर्टफोलियो में अधिकतर छोटी या नई कंपनियां शामिल होती हैं. आम तौर पर स्मॉल-कैप फंड के पोर्टफोलियो में 65-90 फीसदी छोटी कंपनियां होती हैं जिनमें बहुत तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं मौजूद होती हैं. चूंकि, छोटी कंपनियों पर बिजनेस साइकिल से जुड़ी दिक्कतों का सबसे ज्यादा असर होता है, इसलिए ऐसी कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. ऐसे में स्मॉल-कैप फंड ऐसे निवेशकों को ज्यादा पसंद आते हैं जो मार्केट से संबंधित जोखिम के बावजूद शानदार रिटर्न चाहते हैं.
उपयुक्त स्मॉल-कैप फंड चुनना कठिन हो सकता है लेकिन निवेश से पहले अपनी ओर से रिसर्च करना बुद्धिमत्तापूर्ण होता है. किसी भी स्मॉल-कैप फंड को चुनते समय इन बातों पर गौर करना चाहिए:
परफॉर्मेंस बनाम बेंचमार्कः ऐसा स्मॉल-कैप फंड चुनिए जिसने उचित जोखिम-समायोजित रिटर्न के साथ विभिन्न चक्रों में लगातार परफॉर्म किया हो. आपको ऐसा फंड चुनना चाहिए जिसने परफॉर्मेंस के मामले में अपने बेंचमार्क को लगातार पीछे छोड़ा हो. 3-5 साल तक के बेहतर प्रदर्शन को अच्छा संकेत माना जाता है.
समान श्रेणी के फंड्स की तुलना में परफॉर्मेंस: अपनी श्रेणी के औसत की तुलना में स्मॉल-कैप फंड का प्रदर्शन फंड की क्वालिटी के लिहाज से अच्छा संकेतक है. आम तौर पर एक अच्छा फंड अपनी श्रेणी के औसत से बेहतर प्रदर्शन करता है.
पोर्टफोलियो रेंज: अमूमन शीर्ष स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड पर्याप्त रूप से डाइवर्सिफाइड होते हैं. इस प्रकार के फंड्स कुछ चुनिंदा 10 होल्डिंग स्टॉक पर केंद्रित नहीं होते हैं. इससे फोकस्ड पोर्टफोलियो से जुड़ा जोखिम कम हो जाता है.
फंड मैनेजमेंट की क्वालिटी: आपको म्यूचुअल फंड मैनेजर के परफॉर्मेंस पर गौर करना चाहिए और इस बात का आकलन करना चाहिए किया क्या उसने लगातार कई वर्षों तक लगातार अच्छा रिटर्न दिया है. आपको इस बात की जांच निश्चित रूप से करनी चाहिए कि फंड मैनेजर कितने समय से फंड को मैनेज कर रहा है. साथ ही इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि हाल में फंड को मैनेज करने वाला व्यक्ति बदला तो नहीं है. बाजार के विभिन्न चक्रों के दौरान लगातार प्रदर्शन करना प्रभावी फंड मैनेजमेंट के तरीके को दिखाता है.
लिक्विडिटी और आकार: लार्ज फंड्स के पास कंपनियों में निवेश करने और फिर बिकवाली करके बाहर निकलने के साधन मौजूद होते हैं और इस बात की संभावना कम होती है कि लिक्विडिटी की कमी की वजह से उन्हें नुकसान हो. इस तरह के फंड्स आम तौर पर स्मॉलकैप कंपनियों में भी बड़ी कंपनियों के शेयरों को चुनते हैं क्योंकि ऐसी कंपनियों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्थिरता होती है और मार्केट में ज्यादा लिक्विडिटी होती है.
निष्कर्ष: सबसे अच्छा स्मॉल-कैप फंड चुनना जटिल लग सकता है लेकिन उपयुक्त फंड चुनते समय रिसर्च करना और उद्देश्य से जुड़े मानदंडों पर खास गौर करना अहम होता है.
निवेशकों को जागरूक करने के लिए एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करें: https://www.edelweissmf.com/kyc-norms
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश करने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.
म्यूचुअल फंड्स जिन कंपनियों में निवेश करते हैं, उनके आकार के आधार पर अगर उनका वर्गीकरण किया जाए तो मोटे तौर तीन तरह के फंड होते हैं: लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स. इस संदर्भ में ‘कैप’ का मतलब किसी कंपनी के बाजार पूंजीकरण से होता है जो कंपनी के अनुमानित शेयरों का बाजार मूल्य होता है. आइए हम स्मॉल-कैप फंड्स पर बारीकी से नजर डालते हैं:
स्मॉल-कैप फंड एक ऐसा फंड होता है जो 500 करोड़ रुपये से कम के बाजार पूंजीकरण वाली छोटी कंपनियों में निवेश करता है. स्टॉक एक्सचेंज पर 250 रैंक के नीचे आने वाली या बिना किसी रैंक वाली सभी कंपनियां स्मॉल-कैप फंड्स की श्रेणी में आती हैं.
स्मॉल-कैप फंड्स के पोर्टफोलियो में अधिकतर छोटी या नई कंपनियां शामिल होती हैं. आम तौर पर स्मॉल-कैप फंड के पोर्टफोलियो में 65-90 फीसदी छोटी कंपनियां होती हैं जिनमें बहुत तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं मौजूद होती हैं. चूंकि, छोटी कंपनियों पर बिजनेस साइकिल से जुड़ी दिक्कतों का सबसे ज्यादा असर होता है, इसलिए ऐसी कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. ऐसे में स्मॉल-कैप फंड ऐसे निवेशकों को ज्यादा पसंद आते हैं जो मार्केट से संबंधित जोखिम के बावजूद शानदार रिटर्न चाहते हैं.
उपयुक्त स्मॉल-कैप फंड चुनना कठिन हो सकता है लेकिन निवेश से पहले अपनी ओर से रिसर्च करना बुद्धिमत्तापूर्ण होता है. किसी भी स्मॉल-कैप फंड को चुनते समय इन बातों पर गौर करना चाहिए:
परफॉर्मेंस बनाम बेंचमार्कः ऐसा स्मॉल-कैप फंड चुनिए जिसने उचित जोखिम-समायोजित रिटर्न के साथ विभिन्न चक्रों में लगातार परफॉर्म किया हो. आपको ऐसा फंड चुनना चाहिए जिसने परफॉर्मेंस के मामले में अपने बेंचमार्क को लगातार पीछे छोड़ा हो. 3-5 साल तक के बेहतर प्रदर्शन को अच्छा संकेत माना जाता है.
समान श्रेणी के फंड्स की तुलना में परफॉर्मेंस: अपनी श्रेणी के औसत की तुलना में स्मॉल-कैप फंड का प्रदर्शन फंड की क्वालिटी के लिहाज से अच्छा संकेतक है. आम तौर पर एक अच्छा फंड अपनी श्रेणी के औसत से बेहतर प्रदर्शन करता है.
पोर्टफोलियो रेंज: अमूमन शीर्ष स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड पर्याप्त रूप से डाइवर्सिफाइड होते हैं. इस प्रकार के फंड्स कुछ चुनिंदा 10 होल्डिंग स्टॉक पर केंद्रित नहीं होते हैं. इससे फोकस्ड पोर्टफोलियो से जुड़ा जोखिम कम हो जाता है.
फंड मैनेजमेंट की क्वालिटी: आपको म्यूचुअल फंड मैनेजर के परफॉर्मेंस पर गौर करना चाहिए और इस बात का आकलन करना चाहिए किया क्या उसने लगातार कई वर्षों तक लगातार अच्छा रिटर्न दिया है. आपको इस बात की जांच निश्चित रूप से करनी चाहिए कि फंड मैनेजर कितने समय से फंड को मैनेज कर रहा है. साथ ही इस बात की भी जांच करनी चाहिए कि हाल में फंड को मैनेज करने वाला व्यक्ति बदला तो नहीं है. बाजार के विभिन्न चक्रों के दौरान लगातार प्रदर्शन करना प्रभावी फंड मैनेजमेंट के तरीके को दिखाता है.
लिक्विडिटी और आकार: लार्ज फंड्स के पास कंपनियों में निवेश करने और फिर बिकवाली करके बाहर निकलने के साधन मौजूद होते हैं और इस बात की संभावना कम होती है कि लिक्विडिटी की कमी की वजह से उन्हें नुकसान हो. इस तरह के फंड्स आम तौर पर स्मॉलकैप कंपनियों में भी बड़ी कंपनियों के शेयरों को चुनते हैं क्योंकि ऐसी कंपनियों में तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्थिरता होती है और मार्केट में ज्यादा लिक्विडिटी होती है.
निष्कर्ष: सबसे अच्छा स्मॉल-कैप फंड चुनना जटिल लग सकता है लेकिन उपयुक्त फंड चुनते समय रिसर्च करना और उद्देश्य से जुड़े मानदंडों पर खास गौर करना अहम होता है.
निवेशकों को जागरूक करने के लिए एडलवाइज म्यूचुअल फंड की पहल.
सभी म्यूचुअल फंड निवेशकों को एक बार केवाईसी प्रोसेस को पूरा करना होता है. निवेशकों को केवल रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड (आरएमएफ) के साथ डील करनी चाहिए. केवाईसी, आरएमएफ से जुड़ी अधिक जानकारी और किसी भी तरह की शिकायत दर्ज कराने का प्रोसेस जानने के लिए विजिट करें: https://www.edelweissmf.com/kyc-norms
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. कृपया निवेश करने से पहले सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.
MUTUAL FUND INVESTMENTS ARE SUBJECT TO MARKET RISKS, READ ALL SCHEME RELATED DOCUMENTS CAREFULLY.